जीव विज्ञान (Biology) || जीवों के नामकरण की. द्विनाम पद्धति || मोनेरा (Monera) || प्रोटिस्टा (Protista) || कवक (Fungi) || पादप (Plantae) || जन्तु (Animalia) || जीव-विज्ञान के प्रमुख जनक
परिचय (Introduction)
जीव विज्ञान (Biology)
- विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अंतर्गत समस्त सजीवों अर्थात् जीवधारियों का विस्तृत अध्ययन किया जाता है। बायोलॉजी शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम 1801 में लैमार्क (फ्रांस) और ट्रेविरेनस जर्मनी) ने किया।
- जीव विज्ञान को विज्ञान की एक शाखा के रूप में स्थापित करने के कारण अरस्तु (Aristotle) को जीव विज्ञान का जनक (Father of biology) कहा जाता है, अरस्तु को जंतु विज्ञान का जनक (Father of Zoology) भी कहा जाता है। उन्होंने अपनी पुस्तक 'Historia Animalium' में लगभग 500 जंतुओं का वर्णन किया है। थियोफ्रेस्टस (Theophrastus) को वनस्पति विज्ञान का जनक (Father of Botany) कहा जाता है, जिन्होंने 'Historia Plantarum' नामक पुस्तक लिखी।
जीवों के नामकरण की. द्विनाम पद्धति
- जीवों के आधुनिक वर्गीकरण की शुरूआत कैरोलस लीनियस (Carolus Linnaeus) के द्विजगत-सिद्धांत (Two King- dom Classification) से होती है। उन्होंने जीवों को जंतु जगत (Kingdom-Animal) और पादप जगत (Kingdom- Plantae) में बाँटा। लीनियस को वर्गिकी का पिता (Father of Taxonomy) कहा जाता है। सन् 1753 में कैरोलस लीनियस ने जीवों के नामकरण की द्विनाम पद्धति को प्रचलित किया। इसके अनुसार प्रत्येक जीवधारी का नाम लैटिन भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला शब्द वंश तथा दूसरा शब्द जाति है। नाम (Species Name) कहलाता है। उदाहरण- मानव का वैज्ञानिक नाम होमो-सेपियंस (Homo sapiens) है, जिसमें होमो उस वंश का नाम है, जिसकी एक जाति सेपियंस है।
- जैव समुदाय के अध्ययन के लिए हमें जीवधारियों को कुछ समूहों में वर्गीकृत करना पड़ता है, ताकि समान गुणों एवं संरचना वाले जीवों को अध्ययन एक साथ किया जा सके।
- आधुनिक जीव विज्ञान में सर्वाधिक मान्यता व्हिटेकर (R.H. Whittaker) के 'पाँच जगत वर्गीकरण' को दी जाती है। उन्होंने जीवों की जगत (Kingdom) नामक पाँच बड़े वर्गों में बाँटा।
ये पाँच जगत है-
- मोनेरा
- प्रोटिस्टा
- पादप
- कवक
- जंतु।
1. मोनेरा (Monera):
- यह एककोशिकीय प्रोकैरियोटिक जीवों का समूह है अर्थात् इनमें न तो संगठित केंद्रक होता है और न ही विकसित कोशिकांग होते हैं। इनमें केंद्रिका झिल्ली का अभाव होता ,है। इनमें से कुछ में कोशिका भित्ति पाई जाती है तथा कुछ में नहीं।
- पोषण के स्तर पर ये स्वपोषी रसायन संश्लेषी/ प्रकाश संश्लेषी अथवा विषमपोषी मृतजीवी/परजीवी दोनों बैक्टीरिया, माइकोप्लाज्मा आदि।
2. प्रोटिस्टा (Protista):
- इनमें एककोशिकीय यूकैरियोटिक जीव आते हैं। हालाँकि कभी-कभी ये बहुकोशिकीय भी होते हैं, यथा-केल्प या समुद्री घास। प्रोटिस्टा पादप, जंतु एवं कवक जगत के बीच कड़ी का कार्य करता है। इस वर्ग के कुछ जीवों में गमन के लिए सीलिया, फ्लैजेला नामक संरचनाएँ भी पाई जाती है। कुछ में कोशिका भित्ति पाई जाती है। इनमें केंद्रिका झिल्ली पाई जाती है तथा ये स्वपोषी और विषमपोषी दोनों तरह के होते है।
- उदाहरणार्थ- एककोशिकीय शैवाल, डाइएटम, प्रोटोजोआ, यूग्लीना, पैरामीशियम, क्लोरेला, अमीबा आदि इसी जगत के सदस्य हैं।
3. कवक (Fungi):
- ये बहुकोशिकीय यूकैरियोटिक जीव हैं। ये विषमपोषी होते हैं जो पोषण के लिये सड़े-गले कार्बनिक पदार्थों पर निर्भर रहते हैं, अतः इन्हें मृतजीवी भी कह दिया जाता है। इनमें से कई अपने जीवन की एक विशेष अवस्था में बहुकोशिकीय क्षमता प्राप्त कर लेते हैं। इन कवकों में काइटिन (Chitin) नामक जटिल शर्करा की बनी हुई कोशिका भित्ति (सेल्युलोस अनुपस्थित) पाई जाती है। यीस्ट, पेंसीलियम, मशरूम आदि इसी जगत के सदस्य हैं।
4. पादप (Plantae) :
- यह सेल्युलोस से बने कोशिका भित्ति वाले बहुकोशिकीय यूकैरियोटिक जीवों का समूह है। ये स्वपोषी होते हैं और प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया द्वारा स्वयं का भोजन बनाते हैं।
- अतः क्लोरोफिल धारक सभी पौधे इस वर्ग के सदस्य हैं। इनका शरीर ऊत्तकों एवं अंगों से निर्मित होता है।
5. जन्तु (Animalia):
- इस जगत में सभी बहुकोशिकीय जन्तु समभोजी (Holozoic) यूकैरियोटिक, उपभोक्ता जीव सम्मिलित किए गए हैं। इनको मेटाजोआ (Metazoa) भी कहते हैं। हाइड्रा, जेलीफिश, कृमि, सितारा मछली, सरीसृप, उभयचर, पक्षी तथा स्तनधारी जीव इसी जगत के अंग हैं।
जीव-विज्ञान के प्रमुख जनक
- आधुनिक वर्गीकरण का पिता लीनियस को कहा जाता है।
- आनुवांशिकी का जनक मेंडल को माना जाता है।
- द्विनाम पद्धति का जनक लीनियस को माना जाता है।
- हरितक्रांति का जनक डॉ० नॉरमन बरलॉग को माना जाता है।
- भारत में हरित क्रांति का जनक डॉ० एम० एस० स्वामीनाथन ।
- श्वेत क्रांति का जनक डॉ० वर्गीज कुरीयन को माना जाता है।
- भारतीय पारिस्थितिकी का जनक रामदेव मिश्रा को माना जाता है।
- भारतीय जीवाश्म विज्ञान का जनक बीरबल साहनी को माना जाता है।
- टीकाकरण का जनक एडवर्ड जेनर को माना जाता है।
- जीवाणु विज्ञान का जनक ल्यूवेन हॉक को माना जाता है।
- हरितक्रांति शब्द का प्रतिपादन William S. Gaud ने किया।
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