Know what is NRC: जानें क्या है NRC, आखिर क्यों मचा हुआ है संसद में इतना हंगामा

Know what is NRC: जानें क्या है NRC,

 आखिर क्यों मचा हुआ है संसद में इतना हंगामा


Know what is NRC: असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का अंतिम ड्रॉफ्ट जारी होने

 के बाद से विपक्ष हमलावर हो गया है और संसद में जमकर हंगामा हो रहा है। दरअसल, असम के नागरिक

 के रूप में 40 लाख लोगों का नाम इसमें नहीं है। इसमें शामिल होने के लिए 3.29 करोड़ लोगों ने आवेदन 

किया था, जिसमें से 2.89 लाख लोगों को शामिल किया गया। यहां यह जानना जरूरी है कि ये पूरा मसला

 क्या है।

NRC
NRC में नाम है या नहीं पता करने के लिए कतार में खड़ीं महिलाएं  |  तस्वीर साभार: AP















नई दिल्ली: NRC final list 2019 असम में 30 जुलाई, 2018 यानी सोमवार को राष्ट्रीय नागरिक
 रजिस्टर (एनआरसी) का अंतिम ड्रॉफ्ट जारी कर दिया गया। इसमें शामिल होने के लिए असम में 
3.29 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था, जिसमें से 40.07 लाख आवेदकों को जगह नहीं मिली। इसी
 के बाद से संसद से लेकर सड़क तक हंगामा मचा हुआ है। सभी विपक्षी दल सरकार पर हमलावर हो
 गए हैं। इस पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने बयान दिया था कि असम के लिए राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण
 का मसौदा पूरी तरह निष्पक्ष है और जिनका नाम इसमें शामिल नहीं है उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है
 क्योंकि उन्हें भारतीय नागरिकता साबित करने का मौका मिलेगा।

यहां यह समझने की आवश्यकता है कि आखिर एनआरसी है क्या?  एनआरसी से पता चलता है कि कौन
 भारतीय नागरिक है और कौन नहीं। जिनके नाम इसमें शामिल नहीं होते हैं, उन्हें अवैध नागरिक माना 
जाता है। इसके हिसाब से 25 मार्च, 1971 से पहले असम में रह रहे लोगों को भारतीय नागरिक माना गया है। 

असम पहला राज्य है जहां भारतीय नागरिकों के नाम शामिल करने के लिए 1951 के बाद एनआरसी को
 अपडेट किया जा रहा है। एनआरसी का पहला मसौदा 31 दिसंबर और एक जनवरी की रात जारी किया 
गया था, जिसमें 1.9 करोड़ लोगों के नाम थे। 

असम में बांग्लादेश से आए घुसपैठियों पर बवाल के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी अपडेट करने को कहा
 था। पहला रजिस्टर 1951 में जारी हुआ था। ये रजिस्टर असम का निवासी होने का सर्टिफिकेट है। इस 
मुद्दे पर असम में कई बड़े और हिंसक आंदोलन हुए हैं। 1947 में बंटवारे के बाद असम के लोगों का पूर्वी
 पाकिस्तान में आना-जाना जारी रहा। 1979 में असम में घुसपैठियों के खिलाफ ऑल असम स्टूडेंट्स
 यूनियन ने आंदोलन किया। इसके बाद 1985 को तब की केंद्र में राजीव गांधी सरकार ने असम गण
 परिषद से समझौता किया। इसके तहत 1971 से पहले जो भी बांग्लादेशी असम में घुसे हैं, उन्हें भारत 
की नागरिकता दी जाएगी। 




                                                                                                                                                                                                                      

   हालांकि इस पर काम शुरू नहीं हो सका। 2005 में जाकर कांग्रेस सरकार ने इस पर काम शुरू किया।
 2015 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इसमें तेजी आई। इसके बाद असम में नागरिकों के सत्यापन का
 काम शुरू हुआ। राज्यभर में एनआरसी केंद्र खोले गए। असम का नागरिक होने के लिए वहां के लोगों 
को दस्तावेज सौंपने थे।

अब सवाल ये है कि जिनके नाम इसमें नहीं हैं उनका क्या होगा? दरअसल अभी उनके पास एक और
 मौका है। छूटे हुए लोग फिर से इसमें शामिल होने के लिए अप्लाई कर सकते हैं। इसके लिए उनके पास
 30 अगस्त से 28 सितंबर तक समय है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि हो सकता है कि कुछ लोग अनिवार्य दस्तावेज जमा ना करा पाए हों तो उन्हें दावों
 और आपत्तियों की प्रक्रिया के जरिए पूरा मौका दिया जाएगा। दावों और आपत्तियों के निस्तारण के बाद
 ही अंतिम एनआरसी जारी किया जाएगा और यहां तक कि इसके बाद भी हर व्यक्ति को विदेशी न्यायाधिकरण
 का दरवाजा खटखटाने का मौका मिलेगा। अंतिम एनआरसी 31 दिसंबर से पहले जारी की जा सकती है। 

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