राजस्थान इतिहास
से सबसे अधिक आने वाले प्रश्न
भाग 2
101
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खातोली का युद्ध
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1518 ई. में राणा सांगा ने इब्राहीम लोदी को हराया
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102
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हिन्दू देवी-देवताओं
का अजायबघर
|
विजयस्तंभ (चित्तोडगढ़)
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103
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जोधा बाई
|
जोधपुर के मोटा
राजा उदयसिंह की पुत्री, वास्तविक नाम-जगत गुंसाई, जिसका विवाह 1587 ई. में जहाँगीर से हुआ, शाहजहाँ इसी का पुत्र था
|
104
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हरका बाई
|
जयपुर के राजा
भारमल की पुत्री, 1562 में अकबर से विवाह हुआ,
जहाँगीर इसी का पुत्र था। जहाँगीरने इसे ‘मरियम
उज्जमानी’ नाम दिया ।
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105
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सुल्तान निस्सा
|
जयपुर के राजा
भगवन्त दास की पुत्री, वास्तविक नाम – मान बाई / मनभावनी, इसका विवाह जहाँगीर से हुआ तथा
खुसरो इसी का पुत्र था
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106
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गुर्जर प्रतिहार
शैली का अंतिम व सबसे भव्य मंदिर
|
किराडू का
सोमेश्वर मंदिर (बाड़मेर)
|
107
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सबसे प्राचीन
अंकित मंदिर
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शीतलेश्वर महादेव
मंदिर (झालावाड़), 689 ई.
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108
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‘हिंदुआ
सूरज’
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मेवाड़ के राजा
कहलाते थे
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109
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उदयपुर के राज
चिन्ह में अंकित पंक्तियाँ
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“जैदृढ़
राखै धर्मकोतिहिं राखै करतार ।”
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110
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बीकानेर के राज
चिन्ह में अंकित पंक्तियाँ
|
जय जांगलधर
बादशाह
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111
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गढ़ चिंतामणि
|
जोधपुर के
मेहरानगढ़ दुर्ग के ही अन्य नाम मोरध्वज व गढ़ चिंतामणि
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112
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बप्पारावल का
मूलनाम
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कालभोज
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113
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पद्मिनी के प्रिय
तोते का नाम
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हिरामन तोता
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114
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रावल रतनसिंह का
पंडीत
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राघव चेतन
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115
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हिंदी का प्रथम
महाकाव्य
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चंदवरदाई कृत ‘पृथ्वीराज रासो’
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116
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प्रसिद्ध सूफी
काव्य
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मलिक मोहम्मद
जायसी कृत ‘पद्मावत’
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117
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वंश भास्कर में
कहाँ का इतिहास है
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बूंदी का, रचयिता – सूर्यमल मिश्रण व उनके पुत्र
मुरारीदास
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118
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शब्दभेदी बाण से
गौरी की मृत्यु का उल्लेख
|
पृथ्वीराज रासो
(पृथ्वीराजचौहानतृतीय ने चंदवरदाई का दोहा सुन शब्द भेदी बाण चलाकर मुहम्मद गौरी
की हत्या की
|
119
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किस ग्रन्थ में
नायक द्वारा उड़ीसा जाकर हीरे लाना वर्णित है ?
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बीसलदेव रासो में
(नरपति नाल्ह कृत) नायक बीसलदेव / विग्रहराज चतुर्थ अपनी रानी राजमती के कहने पर
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120
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सर्वप्राचीन भूमिज
शैली मंदिर
|
सेवाड़ी का जैन
मंदिर, पाली
|
121
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गिगोंली का युद्ध
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1807 ई. में उदयपुर की राजकुमारी कृष्णाकुमारी के साथ विवाह को लेकर जोधपुर
के राजा मानसिंह व जयपुर के राजा जगतसिंह के मध्य यह युद्ध हुआ ।
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122
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कौनसा राज्य
मुगलों की देन है
|
कोटा
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123
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सांभर झील के
संस्थापक
|
चौहान राजा
वासुदेव
|
124
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महाकवि माघ की
जन्मस्थली
|
भीनमाल(जालौर)
|
125
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किस गुहिल शासक
ने इल्तुतमिश को हराया
|
रावल जेत्र सिंह
(बलबन को भी हराया)
|
126
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बाबर ने किस
युद्ध को ‘जेहाद’ का
नारा दिया
|
खानवा के युद्ध (1527 ई.) को
|
127
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किस शासक के काल
में मगरा क्षेत्र के जावर गाँव सीसा-चाँदी खान निकाली
|
राणा लाखा के समय
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128
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मेवाड़ केसरी
|
महाराणा प्रताप
|
129
|
मरू केसरी
|
दुर्गादास राठौड़
|
130
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मारवाड़ के अबुल
फजल
|
मुहणोंत नैणसी
|
131
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मारवाड़ का बीरबल
|
बांकीदास
|
132
|
मारवाड़ का ताजमहल
|
जसवंत थड़ा
|
133
|
ज्योतिष शासक
|
जयपुर का
सवाईजयसिंह
|
134
|
ब्रजनिधि
|
जयपुर के राजा
सवाई प्रतापसिंह को। ‘ब्रजराज’ भरतपुर
के राजा बंदन सिंह को कहा जाता है
|
135
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पाँचवा वेद/19 वां पुराण
|
‘वेलि
क्रिसन रुकमणी री’ (पृथ्वीराज राठौड़ द्वारा रचित) को कवि
दुरसा आढा ने कहा
|
136
|
‘सूरज
प्रकाश’ के रचयिता
|
करणीदान (जोधपुर के राजा अभयसिंह के समय)
|
137
|
‘वीर
विनोद’ के रचयिता
|
श्यामलाल दास
|
138
|
1857 की क्रांति के समय राजपूताने के ए.जी.जी.
|
जार्ज पैट्रिक
लौरान्स
|
139
|
राजपूताने का
पहला ए.जी.जी.
|
मिस्टर लाकेट
|
140
|
1857 की क्रांति का राजस्थान में सूत्रपात
|
28 मई 1857 को, अजमेर स्थित
नसीराबाद की सैनिक छावनी में
|
141
|
कुल सैनिक
छावनियां
|
कुल 6 सैनिल छावनियां है – नसीराबाद,
एरिनपूरा (पाली), नीमच (म.प्र), देवली (टोंक), ब्यावर (अजमेर), खेरवाड़ा (उदयपुर)
|
142
|
क्रांति में भाग
नहीं लेने वाली छावनियां
|
ब्यावर व खेरवाड़ा
|
143
|
‘चलो
दिल्ली मारो फिरंगी’ नारा
|
एरिनपूरा की
छावनी के सैनिकों ने
|
144
|
गौरों व कालों का
युद्ध
|
आउवा के
क्रांतिकारियों व अंग्रेजों के मध्य युद्ध
|
145
|
जन विद्रोह के
प्रमुख केंद्र
|
कोटा, आउवा (पाली)
|
146
|
मेजर बर्टन की
हत्या
|
कोटा में, 15 अक्टूबर 1857 को जयदयाल व मेहराब
खां के नेतृत्व में क्रांतिकारियों ने कोटा के पॉलिटिकल एजेंट मेजर बर्टन का सिर
काटकर पुरे शहर में घुमाया
|
147
|
मेक मेसन की
हत्या
|
18 सितम्बर 1857 को आउवा (जोधपुर रियासत वर्तमान में
पाली जिले में) के ठाकुर कुशालसिंह चंपावत के नेतृत्व में क्रांतिकारियों ने
जोधपुर के पॉलिटिकल एजेंट मेक मेसन की हत्या कर उसका शव आउवा के दुर्ग पर लटका दिया
|
148
|
क्रांतिकारियों का
दमन करने हेतु पंजाब तक कौन से राजा गये
|
बीकानेर के राजा
सरदार सिंह
|
149
|
1857 की क्रांति का भामाशाह
|
अमरचंद बाठिया
|
150
|
लक्ष्मीबाई व
तात्याटोपे को धन द्वारा सहयोग
|
अमरचंद बाठिया, इसी कारण अंग्रेजों ने इसे फासी की सजा दी
|
151
|
आउवा के
क्रांतिकारियों को किसने हराया
|
20 जनवरी 1858 को कर्नल होम्स ने
|
152
|
ठा. कुशाल सिंह
को शरण देने वाले
|
सलुम्बर के
जागीरदार केशरसिंह एवं कोठारिया के जागीरदार जोधसिंह
|
153
|
1857 की क्रांति के समय जोधपुर के राजा
|
तख्त सिंह
|
154
|
1857 की क्रांति के समय जयपुर के राजा
|
सवाई राम सिंह
द्वितीय
|
155
|
1857 की क्रांति के समय कोटा के राजा
|
महाराव रामसिंह
|
156
|
1857 की क्रांति के समय उदयपुर के राजा
|
स्वरूप सिंह
|
157
|
ठा. कुशाल सिंह
चम्पावत की ईष्टदेवी
|
सुगाली देवी
(जिनकी मूर्ति के 10 सिर व 54 हाथ
है)
|
158
|
टोंक में जिनके
नेतृत्व में विद्रोह हुआ
|
मीर आलम खां
|
159
|
1857 की क्रांति में अंग्रेजों को सहयोग देने के कारण जयपुर के राम सिंह को
|
अंग्रेजों ने कोट
कासिम का परगना दिया
|
160
|
“यदि
में राज्य को नौकरी करूँगा तो अंग्रेजों को बाहर निकाल फैंकने का काम कौन करेगा
”
|
अर्जुन लाल सेठी
का कथन
|
161
|
1818 ई. में ईस्ट इण्डिया कम्पनी की ओर से संधि संपन्न करने वाला अधिकारी
|
चार्ल्स मेटकॉफ
|
162
|
हुरड़ा सम्मलेन
|
17 जुलाई 1734 को जयपुर के राजा सवाई जयसिंह तथा
उदयपुर के जगतसिंह ने मराठाओं के आक्रमण के विरुद्ध राजपूती राजाओं को एकत्र
करने के उद्देश्य से भीलवाड़ा के हुरड़ा नामक स्थान पर सम्मलेन बुलाया
|
163
|
अंतिम हिन्दू
राजा जिसने अश्वमेध यज्ञ किया
|
जयपुर के राजा
सवाई जयसिंह, जिनका पुरोहित पुण्डरीक रत्नाकर था
|
164
|
तीन-तीन मुगल
बादशाओ का काल किसने देखा
|
मिर्जाराजा जयसिंह
ने, जहाँगीर, शाहजहाँ,
औरंगजेब का
|
165
|
सहायक संधि का
जन्म दाता
|
लार्ड वेलेजली
|
166
|
अंग्रेजों के साथ
रक्षात्मक एवं आक्रामक संधि करने वाली पहली रियासत
|
अलवर (14 नवम्बर 1803 को)
|
167
|
दयानंद सरस्वती
राजस्थान में सर्वप्रथम किस राज्य के राजकीय मेहमान के रूप में पधारे
|
धौलपुर (1864 में.) वेदों की खोज हेतु
|
168
|
“भारत
माँ का पुत्र उसकी मुक्ति के लिए शहीद हो गया, इसके लिए
मुझे बहुत प्रसन्नता है।“
|
केसरीसिंह बारहठ
ने अपने पुत्र प्रतापसिंह के शहीद होने पर ये कथन कहे।
|
169
|
बिजोलिया किसान
आन्दोलन कितने वर्ष तक चला
|
44 वर्षों तक (1897-1941)
|
170
|
विजयसिंह पथिक का
वास्तविक नाम
|
भूपसिंह (बुलंदशहर, उत्तरप्रदेश)
|
171
|
चूरू के धर्म
स्तूप पर 26 जनवरी 1930 को
राष्ट्रिय झंडा फहराने वाले
|
क्रांतिकारी चन्दनमल
बहड़
|
172
|
बिजोलिया आन्दोलन
के प्रचार-प्रसार का श्रेय किस समाचार-पत्र को जाता है
|
प्रताप समाचार-पत्र, जो कानपूर से प्रकाशित होता था तथा गणेश शंकर विद्यार्थी
इसके संस्थापक संपादक थे। बाद में विजयसिंह पथिक भी प्रताप के संपादक रहे।
|
173
|
कालीबाई(भील बालिका)
|
1947 में अपने अध्यापक सेंगाभाई को बचाते हुए अंग्रेजों की गोली द्वारा
रास्तापाल (डूंगरपुर) में शहीद।
|
174
|
वैदिक मंत्रालय
प्रिंटिंग प्रेस
|
आर्य समाज द्वारा
अजमेर में स्थापित
|
175
|
बीकानेर में
आजादी आन्दोलन के जनक
|
मंघाराम वैध
|
176
|
बावजी
|
मोतीलाल तेजावत
का उपनाम, जिन्हें ‘आदिवासियों
का मसीहा’ भी कहा जाता है।
|
177
|
“मेरी
माँ को रोने दो जिससे किसी अन्य माँ को नहीं रोना पड़े। अपनी माँ को हँसाने के लिए
मैं हजारों माताओं को रुलाना नहीं चाहता।“ –
|
प्रतापसिंह बाहरठ
के कथन, प्रतापसिंह बारहठ को बनारस
षड्यंत्र केस में सजा होने पर गुप्तचर निदेशक चार्ल्स क्लीव लैंड ने बरेली
पहुँचकर उनको माँ की बीमारी की खबर से आहत कर रास बिहारी बोस के बारे में
जानकारी पूछने पर
|
178
|
डूंगरपुप्रजामंडल
|
4 अगस्त
1944 को भोगीलाल पंड्या द्वारा स्थापित
|
179
|
साका से तात्पर्य
|
राजपूतों द्वारा
केसरिया पहनकर युद्ध भूमि में शहीद होना तथा राजपूतानियों द्वारा दुर्ग में जोहर
करना, ये दोनों घटनाएँ मिलकर ‘साका’ कहलाती है।
|
180
|
दयानन्द सरस्वती
को जहर कहाँ दिया गया ?
|
जोधपुर में, महाराजा जसवंतसिंह सिंह की प्रेमिका नन्ही भक्तन (नन्ही
जान) ने 29 सितम्बर 1883 को स्वयं को
‘कुतिया’ कहे जाने पर दूध में पीसा
हुआ काँच मिलवाकर पिलवा दिया।
|
181
|
दयानन्द सरस्वती
की मृत्यु कहाँ हुई ?
|
अजमेर में 30 अक्टूबर 1883 को दीपावली के दिन
|
182
|
दयानन्द सरस्वती
ने सत्यार्थ प्रकाश की रचना कहाँ की ?
|
उदयपुर, के सज्जन निवास उद्यान में स्थित नवलखों महल में बैठकर की।
|
183
|
सिसोदिया वंश का
संस्थापक
|
राणा हमीर (1326 ई. में जैसा सोनगरा को हराकर)
|
184
|
कुम्भलगढ़ दुर्ग
का वास्तुकार
|
मंडन मिश्र
|
185
|
हालगुरु
|
गिरी दुर्गों का
स्वामी होने के कारण राणा कुम्भा को कहा गया।
|
186
|
राणोरासो
|
विद्वान कवियों
को आश्रय देने के कारण राणा कुम्भा को यह उपाधि दी गयी।
|
187
|
हिन्दू सुरत्ताण
|
तत्कालीन मुस्लिम
शासकों ने राणा कुम्भा को हिन्दू सुरत्ताण (हिन्दू सुल्तान) कहा।
|
188
|
मेवाड़ का भीष्म
|
कुंवर चूंडा
(राणा लाखा का पुत्र, जोधपुर की राजकुमारी हंसाबाई के
साथ राणा लाखा के विवाह को लेकर भीष्म की तरह आजीवन ब्रह्मचारी रहने की
प्रतिज्ञा की।)
|
189
|
विषमघाटी पंचानन
|
राणा हमीर को
(कीर्ति स्तम्भ प्रशस्ति में उत्कीर्ण)
|
190
|
‘एकलिंग
महात्म्य’ के रचनाकार
|
कान्ह व्यास, इसमें ‘राजवर्णन’ स्वयं राणा कुम्भा ने लिखा।
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191
|
कुम्भा के पिता
|
राणा मोकल
|
192
|
संग्राम सिंह के
पिता
|
रायमल
|
193
|
महाराणा प्रताप
की मृत्यु कब, कहाँ ?
|
1597 ई. में चावण्ड में
|
194
|
जहाँगीर के दरबार
में मेवाड़ से सर्वप्रथम कौन उपस्थित हुआ
|
अमर सिंह का
पुत्र कर्णसिंह 1615 ई. में मुग़ल मेवाड़ संधि के
पश्चात जहाँगीर के दरबार में उपस्थित हुआ।
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195
|
बीस माचातोड़
|
राजसमन्द के राजा
रायसिंह के समय मंदिर को बचाते हुए औरंगजेब की सेना से लड़ते हुए शहीद
|
196
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हरावल प्रतियोगिता
|
मेवाड़ के अमरसिंह
सिसौदिया के समय चुण्डावत (जैतसिंह) व शक्तावतों (बल्लु) के बीच हरावल (सेना का
अग्र भाग) दस्ते में रहने के लिए ऊंटाला दुर्ग (वल्लभगढ, उदयपुर) कको जीतने की प्रतियोगिता हुई।
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197
|
सबसे बड़ी
राजप्रशस्ति
|
राजसमन्द प्रशस्ति, राजसमन्द झील के उत्तरी सिरे पर 9 चौकी
पर 25 शिलालेखों पर रणछोड़ भट्ट द्वारा संस्कृत भाषा में
लिखी हुई मेवाड़ की राजप्रशस्ति
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198
|
कुम्भा कालीन
जैनाचार्य
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सोम सुंदर सूरी, जयशेखर सूरी, भुवन कीर्ति एवं सोमदेव
|
199
|
पाथल
|
महाराणा प्रताप
को
|
200
|
पीथल
|
बीकानेर के
पृथ्वी राज राठौड़ को
|
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