भूगोल : अक्षांश एवं देशान्तर रेखाएँ ॥ Geography: Latitude and Longitude lines ॥ BHUGOL : AKSHANSH AVAM DESHANTAR REKHAEN

भूगोल : अक्षांश एवं देशान्तर रेखाएँ

(Geography: Latitude and Longitude lines)

 

ज्योग्राफी :- ज्यो से तात्पर्य - पृथ्वी और ग्राफी से तात्पर्य वर्णन अर्थात् पृथ्वी का वर्णन ही ज्योग्राफी कहलाती है।

अक्षांश

  • भूपृष्ठ पर पृथ्वी के केन्द्र किसी भी स्थान की मापी गई कोणीय दूरी इस स्थान का अक्षांश कहलाती है। इसे अंश (डिग्री), मिनट, सेकण्ड़ों में दर्शाया जाता है।
  • इनकी कुल संख्या 0 + 90+ 90 = 181-2 = 179 होती है, क्योंकि उत्तरी धुव्र दक्षिणी धुव्र पर कोणीय दूरी का मापन नहीं होता। ये एक बिन्दू के रूप में होते है। इसलिए दोनों धुत्रों को घटा दिया जाता है। इस प्रकार संख्या 179 होती है।

आवश्यकता क्यों पड़ी:-

  • इनके द्वारा किसी भी स्थान की स्थिति (Loacation) का निर्धारण होता है।
  • उदाहरण:- देश, राज्य, जिला, तहसील, स्थालाकृतियाँ इत्यादि की स्थिति का निर्धारण।

अक्षांश रेखाए/अक्षांश वृत:-

  • भूपृष्ठ पर विषुवत रेखा के उत्तर व दक्षिण में खींची गई समानान्तर रेखाओं को अक्षांश रेखा या अक्षांश वृत्त कहते है।
  • इनकी कुल संख्या 90° + 90° + 0° = 181 होती है।
  • उत्तरी गोलार्द्ध में 23.5° उतरी अक्षांश को कर्क रेखा (Tropic of Cancer), तथा
  • 66.5° उत्तरी अक्षांश को उपध्रुव/, आर्कटिक वृत के नाम से जानते है।
  • दक्षिणी में 23.5° दक्षिणी अक्षांश को मकर रेखा (Tropic of Capricom) विषुवत रेखा जबकि 66.5° दक्षिणी अक्षांश को उपध्रुव), अंटार्कटिक वृत के नाम से जानते है।

आवश्यकता क्यों पड़ी:- किसी भी स्थान/क्षेत्र की जलवायु का निर्धारण करने हेतु।

उदाहरणः

1. उष्णकटिबंधीय जलवायु 0-23.5° (N+S)
2. शीतोष्ण कटिबंधीय जलवायु 23.5°-66.5° (N + S)

3. शीत कटिबंधीय जलवायु 66.5°-90° (N+ S)

विशेषताः-

  • दो अक्षांश रेखाओं के बीच की दूरी को कटिबंध कहते है।
  • दो अक्षांश रेखाओं के बीच में 111 किमी की दूरी होती है।
  • 111 किमी की दूरी 1 डिग्री को दर्शाती है।
  • अक्षांश रेखाएँ पूर्ण वृत होती है।
  • भूमध्य रेखा से धुव्रों की ओर जाने पर अक्षांश रेखाओं के बीच की दूरी समान होती है।
  • लेकिन उनके वृतों के क्षेत्रफल में लगातार कमी आती जाती है।
  • भूमध्य रेखा को छोड़कर कोई भी अक्षांश रेखा वृहत वृत्त का निर्माण नहीं करती है।
नोट:-   अक्षांश रेखा/भूमध्य रेखा को विषुवत रेखा क्यो कहते है?

स्पष्टीकरण: 21 मार्च व 23 सितम्बर को सूर्य भूमध्य रेखा पर लम्बवत चमकता है, जिससे दिन रात की अवधि बराबर होती है एवं ऋतु की समानता होती है। दिन रात की अवधि के बराबर होने के कारण विषुव (Equinox) का निर्माण होता है। ऐसा विषुव केवल भूमध्य रेखा पर ही बनता है, इसलिए इसे विषुवत रेखा कहते है।

देशान्तर:-

  • किसी स्थान की भू-पृष्ठ पर प्रधान याम्योतर से पूर्व व पश्चिम की कोणिय दूरी को उस स्थान का देशान्तर कहते है।
  • संख्या 0° +180° + 180° = 361-1=360°

स्पष्टीकरणः 180° पूर्व व पश्चिम देशान्तर एक ही होती है। यह दो अलग-अलग रेखाएँ नहीं है, इसलिए एक घटा दिया गया है। दीवारी, एटलस के मानचित्र पर ये 2 प्रतीत होती है, जबकि ग्लोब पर एक।

आवश्यकता क्यों पड़ीः स्थिति (Location) के निर्धारण हेतु।

नोट: अक्षांश व देशान्तर से किसी भी स्थान की स्थिति का निर्धारण होता है।
उदाहरण:- 69°30' पूर्वी देशान्तर से 78°17' पूर्वी देशान्तर के मध्य राजस्थान की स्थिति है। स्थिति के लिए हम अक्षांश, देशान्तर जैसे शब्दों का प्रयोग करते है, ना कि अक्षांश रेखा, देशान्तर रेखाओं जैसे शब्दों का।

देशान्तर रेखा:-

  • भूपृष्ठ पर प्रधान याम्योतर के पूर्व व पश्चिम में खिंची गई लम्बवत रेखाओं को देशान्तर रेखा कहा जाता है।
  • संख्या: 0° + 180° + 180° = 361-1=360°
  • आवश्यकता क्यों पडी?: समय की गणना हेतु

नोट: 180° के पूर्व व पश्चिम देशान्तर रेखा के ठीक विपरित देशान्तर रेखा होती है।

विशेषताः

  • दो देशान्तर रेखाओं के बीच की दूरी को गोर कहते है।
  • अक्षांश व देशान्तर रेखाओं के जाल को ग्रीड या मैस कहते है।
  • दो देशान्तर रेखाओं के बीच में भूमध्य रेखा पर दूरी 111.32 किमी होती है, जो धुव्रों की ओर घटकर शून्य हो जाती है।
  • प्रत्येक देशान्तर रेखा वृहत वृत्त (great circle) का निर्माण करती है।

  • पृथ्वी 24 घंटे में 360 डिग्री घुम जाती है। अत: 1 घण्टे में 360/24=15 डिग्री घुम जाती है तथा 1 डिग्री देशान्तर की दूरी तय करने में 60/15 =4 मिनट का समय लेती है।
  • 0 डिग्री देशान्तर के पूर्व में जाने पर समय आगे होता है, जबकि पश्चिम में जाने पर समय पीछे होता है, इसका प्रमुख कारण सूर्य का पूर्व में उदित होना एवं पृथ्वी का पश्चिम से पूर्व की ओर अपनी अक्ष पर घुमना है, इसलिए पूर्व का समय आगे व पश्चिम का समय पीछे रहता है।
  • पृथ्वी के सभी स्थानों पर इसी कारण समय की विभिन्नता देखने को मिलती है।

अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा

  • 1884 में इसका निर्धारण, वाशिंगटन में सम्पन्न एक सम्मेलन में किया गया।
  • 180° पूर्व व पश्चिम देशान्तर रेखा को अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा के नाम से जानते है। यह प्रशांत महासागर से बैरिंग जल संधि के समानान्तर गुजरती है। इस रेखा का संबंध वार/तिथि के निर्धारण से है। इस रेखा को पूर्व की ओर पार करने पर एक दिन कम करना पड़ता है, जबकि पश्चिमी की ओर जाने पर एक दिन जोड़ना पड़ता है।

पृथ्वी से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य

पृथ्वी की आकृति -   जियोड

अक्ष धुव्रीय व्यास-    12714 किमी. (7900 मील)

भूमध्यरेखीय व्यास -12757 किमी. (7927 मील)

धुव्रीय परिधि-          40008 किमी.

विषुवतीय परिधि-     40075 किमी.

जलीय भाग-            71%

स्थलीय भाग-          29%

औसत घनत्व-          5.5

अनुमानित आयु-       4.6 मिलियन वर्ष

परिभ्रमण समय-       23 घण्टे, 56 मिनट, 4 सेकण्ड 1610 किमी/घण्टा

परिक्रमण समय-         365 दिन, 5 घण्टे, 48 मिनट, 46 सैकण्ड़, 107160 किमी/घण्टा

परिक्रमण वेग-            29.8 किमी/सेकण्ड

पृथ्वी की चन्द्रमा से दूरी-   384,365 किमी.

सूर्य से प्रकाश धरातल पर पहुँचता है-   8 मिनट 18 सैकण्ड में

चन्द्रमा का प्रकाश धरातल पर पहुँचता है-   2 मिनट से भी कम समय में

 


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