कारक Case
- पुलकित ने गृह – कार्य कर लिया ।
- इंदिरा को पुस्तक दी ।
- गीता ने साबुन से हाथ धोए ।
- रूपा बेटे के लिए जूते लाई ।
- कुलदीप कक्षा से निकला ।
- अरे वाह अनूप ! प्रतियोगिता जीतकर आखिर तुम विद्यालय का मान रखने में सफल हो ही गए ।
उपर्युक्त वाक्यों में ने , को , से , के लिए , से , की , में , अरे कारक के चिह्न हैं । इन्हें विभक्तियाँ कहते हैं ।
कारक संज्ञा या सर्वनाम का क्रिया के साथ संबंध जोड़ते हैं ।
कारक के द्वारा संज्ञा या सर्वनाम का वाक्य के अन्य
शब्दों के साथ संबंध स्पष्ट होता है ।
कारक |
विभक्ति - चिन्ह |
वाक्य में प्रयोग |
कर्त्ता |
ने |
तमन्ना ने गीत गया। |
कर्म |
को |
नेता जी ने तमन्ना को पुरस्कार दिया। |
करण |
से, द्वारा |
मालिक ने नौकर से चाय मँगवाई। |
सम्प्रदान |
को, के लिए |
पिता जी विशाल के लिए कपडे लाये। |
अपादान |
से ( अलग होना ) |
विधार्थी स्कूल से निकले। |
सम्बन्ध |
का, के, की, रा, रे, री |
मोहन का लड़का भाग गया। |
अधिकरण |
में, पर |
मेज पर पुस्तक रखी है। |
सम्बोधन |
हे !, अरे ! |
हे राम ! हमारी रक्षा करो ! |
(
1 ) कर्ता कारक – कर्ता का अर्थ है — कार्य करने वाला । किसी वाक्य में क्रिया करने वाले को कर्त्ता कहते हैं ।
कर्ता कारक से क्रिया के करने वाले का बोध होता है ; जैसे-
अजय ने खाना खाया ।
इस वाक्य में खाना खाने का कार्य अजय ने किया
है । इसलिए ‘ अजय ‘
इस वाक्य में कर्ता है । अजय के साथ कर्ता कारक की विभक्ति ‘ ने ‘ लगी है
।
कर्ता कारक के साथ अनेक बार विभक्ति चिह्न ‘ ने ‘ का प्रयोग
नहीं होता ; जैसे — प्रकाश सो गया ।
इस वाक्य में सोने का कार्य ‘ प्रकाश ‘ द्वारा
हुआ है । इसलिए प्रकाश कर्ता है । इस वाक्य में कर्ता की विभक्ति नहीं लगी ।
अकर्मक क्रियाओं के साथ ‘ ने ‘ विभक्ति
नहीं लगती ।
वर्तमानकाल और भविष्यत्काल में भी कर्ता के
साथ ‘ ने ‘ विभक्ति नहीं लगती ;
जैसे गीतांजली जा रही है । अंकुर विद्यालय
जाएगा ।
( 2
) कर्म कारक – जिस संज्ञा शब्द पर क्रिया का फल
पड़ता है , उसे कर्म कारक कहते हैं ; जैसे
अंशु ने पल्लवी को गणित पढ़ाया ।
इस वाक्य में ‘ पल्लवी ‘ कर्म है । ‘ पढ़ाया ‘ क्रिया का फल ‘ पल्लवी
‘ पर पड़ रहा है । पल्लवी कर्म के साथ कर्म कारक का विभक्ति चिह्न ‘ को ‘ लगा है ।
कई बार कर्म कारक के साथ ‘ को ‘ विभक्ति
चिह्न नहीं लगता ; जैसे
विजयप्रकाश जी ने भाषण दिया ।
( 3
) करण कारक – करण का अर्थ साधन या माध्यम होता
है । कर्ता जिस साधन या माध्यम से क्रिया करते हैं , उसे करण
कारक कहते हैं ; जैसे
असीम ने पेन से लिखा । सायरा ने घी से सब्जी
बनाई ।
( 4
) संप्रदान कारक – संप्रदान शब्द का अर्थ है –
देना । कर्ता जिसे कुछ देता है अथवा जिसके लिए कुछ करता है ,
इसे बताने वाला शब्द संप्रदान कारक कहलाता है ; जैसे
नीलांजना माता जी के लिए साड़ी लाई । अपर्णा
ने मीता को पुस्तक दी । सत्येंद्र पुत्र के लिए कुरुक्षेत्र गया ।
इन वाक्यों में नीलांजना , अपर्णा और सत्येंद्र कर्ता हैं । ये
माता जी , मीता और पुत्र के लिए कार्य करते हैं ।
( 5
) अपादान कारक – अपादान का अर्थ है – अलग होना । संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से एक वस्तु का दूसरी वस्तु से
अलग होने का या तुलना करने का बोध होता है , उसे अपादान कारक
कहते हैं ; जैसे
गिलास मेज से गिर गया । दुकानदार ने बोरी से
चावल निकाला । सरोज अनुपमा से अच्छा गाती है ।
( 6
) संबंध कारक – संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से
वस्तुओं या व्यक्तियों में संबंध का पता चले , उसे संबंध
कारक कहते हैं ; जैसे
मेरा विद्यालय आ गया । काजी एजाज आरिफ का भाई
है ।
इन वाक्यों में मेरा ‘ , ‘ आरिफ का ‘ शब्द
संबंध कारक हैं ।
( 7
) अधिकरण कारक – अधिकरण का अर्थ है – क्रिया का आधार या आश्रय । संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के
आधार , स्थान या समय का पता चले , उसे
अधिकरण कारक कहते हैं ; जैसे
रीना कुर्सी पर बैठी है । महेशचंद कक्षा में
आ गया । बस में भीड़ है ।
( 8
) संबोधन कारक – संज्ञा के जिस रूप से पुकारने और
संकेत करने का ज्ञान होता है , उसे संबोधन कारक कहते हैं ।
वाह भाई ! तुमने तो कमाल कर दिया ।
हाय अल्लाह ! कैसी मुसीबत आ गई ?
अरे ! यह चित्र तुमने बनाया है ?
इन वाक्यों में वाह , हाय , अरे शब्द संबोधन के लिए प्रयुक्त हुए हैं ।
इसलिए ये संबोधन कारक हैं ।
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