वर्ण - विचार Phonology

 

वर्ण - विचार Phonology

वर्ण ( Letter )

हम भाषा के माध्यम से अपने मन के भावों को प्रकट करते हैं । जब हम बोलते हैं तो हमारे मुख से अनेक ध्वनियाँ निकलती हैं । इन ध्वनियों के निश्चित चिह्न होते हैं ; जैसे 

मोर शब्द में : म् +ओ + र  +

 कमल शब्द में : क् + म् + अ + ल् + अ

फल शब्द में फ् + अ + ल् + अ

ध्वनि भाषा की सबसे छोटी इकाई होती है । इस ध्वनि को ही वर्ण कहते हैं ।

वर्ण ( Alphabet )

प्रत्येक भाषा में विभिन्न ध्वनियों को लिखने के लिए कुछ चिह्न निश्चित किए जाते हैं । प्रत्येक ध्वनि के लिए एक पृथक् चिह्न होता है । इन ध्वनि चिह्नों को ही वर्ण कहा जाता है ।

किसी भाषा के समस्त वर्गों के समूह को उस भाषा की वर्णमाला ( Alphabet ) कहते हैं । 

हिंदी भाषा की वर्णमाला इस प्रकार है , , , , , , , , , , , अं , अः , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , ढ़ । 

वर्गों के लिखने के ढंग को लिपि कहते हैं । हिंदी और संस्कृत भाषाएँ देवनागरी लिपि में लिखी जाती हैं ।

वर्गों के भेद ( Kinds of Letters )

वर्गों के तीन भेद होते हैं 

  1. स्वर ( Vowels ) , 2. व्यंजन ( Consonants ) तथा 3. अयोगवाह ( After Sounds ) |

1. स्वर ( Vowels )

स्वर ऐसी ध्वनियाँ होती हैं जिनका उच्चारण करते समय वायु फेफड़ों से निकलकर कंठ में बिना रुके , मुख से बाहर आ जाती है ।

स्वर के भेद ( Kinds of Vowels )

स्वरों के तीन भेद होते हैं

( क ) ह्रस्व स्वर ( Short Vowels ) , ( ख ) दीर्घ स्वर ( Long Vowels ) तथा ( ग ) प्लुत स्वर ( Longer Vowels ) 

( क ) ह्रस्व स्वर ( Short Vowels ) – जिन स्वरों का उच्चारण करने में बहुत कम समय लगता है , उन्हें ह्रस्व स्वर कहते हैं ; ये हैं , , , ऋ ।

( ख ) दीर्घ स्वर ( Long Vowels ) — इन स्वरों का उच्चारण करने में ह्रस्व स्वरों की अपेक्षा बहुत अधिक समय लगता है ; ये हैं , , , , , , औ ।

( ग ) प्लुत स्वर ( Longer Vowels ) – इन स्वरों का उच्चारण करते समय ह्रस्व स्वरों से तीन गुना समय अधिक लगता है । ये प्राय : पुकारने के लिए प्रयुक्त होते हैं ; जैसे ओ ३ म् , भैया आदि ।

मात्राएँ ( Vowel Signs )

 

 मात्रा का अर्थ है व्यंजन के बाद आने वाला स्वर । विभिन्न स्वरों की मात्राएँ इस प्रकार हैं

क्रम

स्वर

मात्रा

मात्रा सहित व्यंजन

मात्रा वाले शब्द

1

-

कल , तल

2

T

का

कान, माला

3

ि

कि

किसान , मिलन

4

की

कील , खीर

5

कु

कुल, पुल

6

कू

कूप , फूल

7

कृ

कृषक , गृह

8

के

केश , नेवला

9

कै

कैसा , पैसा

10

को

कोयल , कटोरी

11

कौ

कौआ , मौसम

व्यंजन ( Consonants )

वे वर्ण जिनका उच्चारण करते समय फेफड़ों से निकलने वाली वायु मुख में रुककर बाहर आती है , उन्हें व्यंजन कहते हैं । 

व्यंजनों के भेद ( Kinds of Consonants ) 

व्यंजनों का वर्गीकरण मुख्यत : दो आधारों पर किया जाता है

( 1 ) स्पर्श के आधार पर तथा ( 2 ) श्वास की मात्रा के आधार पर । 

( 1 ) स्पर्श के आधार पर ( On the Basis of Touch ) स्पर्श के आधार पर व्यंजन चार प्रकार के होते हैं

( क ) स्पर्श व्यंजन , ( ख ) उत्क्षिप्त व्यंजन , ( ग ) अंत : स्थ व्यंजन , ( घ ) ऊष्म व्यंजन । 

( क ) स्पर्श व्यंजन ( Mutes ) – जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय वायु कंठ , दाँत , मूर्धा , तालु अथवा ओठों का स्पर्श करके मुख से बाहर आती है , उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं । 

कवर्ग , चवर्ग , टवर्ग , तवर्ग और पवर्ग ये सभी स्पर्श व्यंजन हैं । 

क वर्ग :  क ख ग घ ङ  = कंठ 
च वर्ग :  च छ ज झ ञ  = तालु 
ट वर्ग :  ट ठ ड ढ ण  = मूर्धा
त वर्ग :  त थ द ध न  = दाँत
प वर्ग :  प फ ब भ म   = ओंठ

 

( ख ) उत्क्षिप्त व्यंजन ( Aspirated ) – ड और ढ़ का उच्चारण करने में वायु जीभ से टकराकर वापस आती है और फिर बाहर निकलती है , इसलिए इन्हें उत्क्षिप्त व्यंजन कहते हैं । इनका उच्चारण स्थान मूर्धा है । 

( ग ) अंत : स्थ व्यंजन ( Semi – vowels ) – जिन व्यंजनों का उच्चारण ज्यादातर स्वरों और व्यंजनों के मध्य होता है , उन्हें अंत : स्थ व्यंजन कहते हैं ।

अंत : स्थ व्यंजन चार हैं –   य्, र्, ल्, व्,

 

( घ ) ऊष्म व्यंजन ( Sibilants ) – जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय वायु मुख से टकराकर गर्मी उत्पन्न करती है , उन्हें ऊष्म व्यंजन कहते हैं ।

ऊष्म व्यंजन चार हैं – – श्, ष्, स्, ह्।

 

( 2 ) श्वास की मात्रा के आधार पर ( On the Basis of Respiratory Quantity ) 

श्वास की मात्रा के आधार पर व्यंजनों के दो भेद होते हैं— 

( क ) अल्पप्राण व्यंजन और ( ख ) महाप्राण व्यंजन ।

( क ) अल्पप्राण व्यंजन  जिन व्यंजनों में श्वास की मात्रा कम होती है , उन्हें अल्पप्राण व्यंजन कहते हैं । प्रत्येक वर्ग | का पहला , तीसरा और पाँचवाँ वर्ण , अंत : स्थ और ऊष्म ( ह को छोड़कर ) अल्पप्राण व्यंजन होते हैं । 

( ख ) महाप्राण व्यंजन  इनके उच्चारण में श्वास की मात्रा अधिक होती है । प्रत्येक वर्ग का दूसरा और चौथा वर्ण तथा ह महाप्राण व्यंजन होता है ।

वर्ग 

अल्पप्राण व्यंजन

महाप्राण व्यंजन

क वर्ग

, ,

,

च वर्ग

, ,

,

ट वर्ग

, , ,

,

त वर्ग 

, ,

,

प वर्ग

, ,

,

6

, , , ,

-

7

, ,

 

अयोगवाह ( After Sounds )

 

ऐसे वर्ण जो न तो स्वर हैं और न ही व्यंजन , अयोगवाह कहलाते हैं । इनका प्रयोग स्वर और व्यंजन दोनों के साथ होता है ; जैसे 

अं , अँ और अ : ये तीनों अयोगवाह हैं । 

इन्हें क्रमश : अनुस्वार , अनुनासिक तथा विसर्ग कहते हैं ।

संयुक्त व्यंजन ( Conjuncts Consonants )

 

जो व्यंजन भिन्न भिन्न स्वरों के संयोग से बनते हैं , उन्हें संयुक्त व्यंजन कहते हैं ; ये व्यंजन हैं

  1. क्ष   =   क्  +      =  अक्षर
  2. त्र    =   त्  +        =  नक्षत्र 
  3. ज्ञ   =   ज्  +      =   ज्ञान
  4. श्र    =    श्  +       =    श्रवन 

द्वित्व व्यंजन

 

जब कोई स्वर रहित व्यंजन उसी स्वर युक्त व्यंजन के साथ संयुक्त रूप से उच्चारित होता है , तो उसे द्वित्व व्यंजन कहते हैं जैसे:-

द्वित्व व्यंजन

शब्द

च्च

बच्चा

 ट्ट

लट्टू

त्त

पत्ता

 ब्ब

अब्बा

 न्न

अन्न

क्क

चक्की

ल्ल

बल्ला

द्द

भद्दा

म्म

अम्मा

स्स

रस्सी

 

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